रायपुर। 14 नवम्बर से पूरे छत्तीसगढ़ में धान खरीदी करने का शासन ने घोषणा किया है, लेकिन जिले सहित प्रदेश के रायपुर संभाग से बिलासपुर, गरियाबंद, महासमुंद ,बलोदा बाजार ,रायपुर के सोसाइटी कर्मचारी अपने 3 सूत्रीय मांगो को लेकर हड़ताल में बैठे हुए हैं, जिससे सभी राशन दुकान, सोसाइटी कार्यालय बंद हो गया है। कर्मचारियों का कहना है कि शासन पहले 72 घंटे में धान उठाने का एग्रीमेंट करती हैं लेकिन खरीदी केंद्र से धान उठाते-उठाते बरसात लग जाता है, उसे भी अब शीघ्र लिख कर कर्मचारियों के ऊपर डाल दिया है, इस दौरान उन्हें धूप और पानी दोनों से बचाना होता है, जिसके कारण धान में सुखत आना स्वाभाविक है, लेकिन इसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है, कर्मचारी बैंक से लोन लेकर सुखत का पैसा भरता है, अब एक साल भरे तो भी बर्दाश्त कर ले, हर साल सूखत के लिए लोन लेगा तो अपने परिवार को कैसे पालेगा, क्योंकि सारा वेतन तो लोन चुकाने में खत्म हो जाएगा और एक समय के बाद लोन मिलना भी बंद हो जायेगा, तो क्या घर के धान को बेच कर चुकाएंगे ये बड़ा सवाल है? इस पर शासन प्रशासन को गंभीरता से सोचने की जरुरत है। इसलिए इस बार सहकारी कर्मचारी धान खरीदी में सुखत नहीं तो धान खरीदी नहीं का नारा देते हुए, जब तक सूखत राशि की घोषणा सहित सभी मांगे नहीं मानी जाती है तब तक धान खरीदी का बहिष्कार करते हुए आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है।
छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ रायपुर पंजीयन क्रमांक 6685 के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कुमार साहू ने बताया कि इस बार तीन सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस नहीं लेने की निर्णय लिया गया है। इसके लिए प्रदेश से 13 सदस्यों की कोर कमेटी बनाई गई है।जो आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर संचालन किया जा रहा है। मांग पूरी नहीं होती है, तो जिला सहित प्रदेश के 2058 सहकारी समिति कर्मचारी लगभग 13,000 हजार सामुहिक इस्तीफा मुख्यमंत्री और सहकारिता मंत्री को सौंपेंगे।