रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को झकझोर देने वाला झीरम घाटी हत्याकांड अब एक नया मोड़ ले चुका है। 25 मई 2013 को हुए इस भयावह हत्याकांड में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं समेत 30 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस घटना को राज्य का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड माना गया, जिसने प्रदेश और देश में सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए थे।
इस दर्दनाक घटना के पीछे जिम्मेदार अपराधियों की पहचान और साजिश का पर्दाफाश आज तक नहीं हो सका। घटना के तुरंत बाद, केंद्र सरकार ने 27 मई 2013 को मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी। इसके बावजूद इस हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता और अपराधियों को पकड़ने में अब तक सफलता नहीं मिल पाई।
इस हत्याकांड में शामिल मोस्टवांटेड नक्सली मंजुला उर्फ निर्मला, जिन पर 20 लाख रुपये का इनाम था, ने आखिरकार शुक्रवार, 15 नवंबर 2024 को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। मंजुला ने तेलंगाना के वारंगल में पुलिस कमिश्नर के पास जाकर सरेंडर किया।
बता दें कि मंजुला कुख्यात नक्सली लीडर कोडी कुमार स्वामी उर्फ आनंद और कोडी वेंकन्ना उर्फ गोपन्ना की बहन है। वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल केमटी की साउथ सब-डिवीजन ब्यूरो की सक्रिय सदस्य रही है। मंजुला 1994 में माओवादी संगठन में शामिल हुई थी और पिछले 30 वर्षों से संगठन में विभिन्न भूमिकाओं में सक्रिय रही।