
जगदलपुर। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुंदरराज पी ने माओवादी संगठन के सभी स्तर के कैडरों को कड़ा संदेश देते हुए आत्मसमर्पण की अंतिम अपील की है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि चाहे वह शीर्ष माओवादी नेता हिडमा, सुजाता, सोनू, रामचंद्र रेड्डी, बासादेवा हों या स्थानीय कैडर, हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण ही उनकी जान बचाने का एकमात्र रास्ता है। अन्यथा, उनका अंत भी हाल ही में मारे गए माओवादी महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजु की तरह भयानक होगा।
सुंदरराज पी ने 27 मई 2025 को जगदलपुर में मीडिया के माध्यम से माओवादी संगठन के सीनियर, मिडिल, और स्थानीय कैडरों को संबोधित करते हुए कहा कि बसवराजु की मृत्यु के बाद संगठन अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। उन्होंने कहा, सीनियर माओवादी कैडर हमारे टारगेट लिस्ट में हैं। उनके पास अब एकमात्र विकल्प है हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। आईजी ने जोर देकर कहा कि केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीतियां आत्मसमर्पण करने वालों को वित्तीय सहायता, शिक्षा, रोजगार, और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
सुंदरराज पी ने दावा किया कि बसवराजु उर्फ बीआर दादा, जिसे 21 मई 2025 को अबूझमाड़ में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया, माओवादी संगठन का आखिरी जनरल सेक्रेटरी था। उन्होंने कहा, 2019 में रमन्ना की मृत्यु के बाद माओवादी संगठन नेतृत्वविहीन हो चुका है। उनके पास कोई ऐसा कैडर नहीं बचा जो संगठन को आगे ले जा सके। यह संगठन अब इतिहास बनने की कगार पर है।
आत्मसमर्पण की बढ़ती संख्या-
आईजी ने बताया कि 2024 और 2025 में पिछले 16 महीनों में 1,400 से अधिक माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें सीनियर और मिडिल लेवल के कैडर भी शामिल हैं, जो सरकार की नियद नेल्ला नार और पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटे हैं। सुंदरराज ने कहा कि कई माओवादी पुलिस और अन्य सूत्रों के संपर्क में हैं, और जल्द ही बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण की उम्मीद है।
माओवादी संगठन की कमजोरी-
सुंदरराज पी ने माओवादी संगठन की कमजोर स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संगठन में आंतरिक मतभेद, आदिवासी समाज पर अत्याचार, और विचारधारा से मोहभंग के कारण कैडरों का मनोबल टूट रहा है। उन्होंने माओवादियों को चेतावनी दी कि सुरक्षा बलों का अभियान तब तक नहीं रुकेगा जब तक संगठन का समूल नाश नहीं हो जाता।