चॉकलेट-आइसक्रीम का लालच देकर 3 साल तक नाबालिग का यौन शोषण, आरोपी चार घंटे में गिरफ्तार…

चॉकलेट-आइसक्रीम का लालच देकर 3 साल तक नाबालिग का यौन शोषण, आरोपी चार घंटे में गिरफ्तार…
खैरागढ़। जिले में जालबांधा पुलिस ने नाबालिग बालिका के साथ लंबे समय से यौन शोषण के गंभीर मामले में आरोपी को महज चार घंटे के भीतर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी की पहचान पुनित दास साहू उर्फ ‘साहेब’ (54) के रूप में हुई है, जो ग्राम करमतरा का निवासी है और खेती किसानी का कार्य करता है।
पुलिस को यह कार्रवाई उस समय करनी पड़ी जब पीड़िता की बड़ी बहन ने 19 जुलाई 2025 को जालबांधा चौकी पहुंचकर आरोपी के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया कि आरोपी, जिसे गांव में सभी ‘साहेब’ के नाम से जानते हैं, उसकी अबोध नाबालिग बहन के साथ बीते करीब 3 वर्षों से यौन शोषण करता आ रहा था।
चॉकलेट-आइसक्रीम का लालच देकर करता था घिनौना कृत्य
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आरोपी पुनित दास रोजाना स्कूल से लौटती बालिका को चॉकलेट, आइसक्रीम और अन्य खाद्य सामग्री का लालच देकर अपने घर ले जाता था और वहां दुष्कर्म करता था। यह सिलसिला करीब तीन वर्षों से जारी था।
गंभीर धाराओं में मामला दर्ज
प्राथमिकी दर्ज होते ही थाना जालबांधा में अपराध क्रमांक 362/25 के तहत धारा 64, 64(2)(m), 65(2) भा.दं.सं. एवं POCSO Act की धारा 4 और 6 के तहत मामला दर्ज कर तत्काल विवेचना शुरू की गई।
जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई पुलिस (सीजी टीम) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की और प्रथम सूचना दर्ज होने के चार घंटे के भीतर आरोपी को उसके गांव से गिरफ़्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
पुलिस का बयान: “बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि”
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऐसे मामलों में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी, बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
गांव में रोष, जागरूकता अभियान की मांग
घटना के सामने आने के बाद ग्राम करमतरा में आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों ने बताया कि आरोपी का व्यवहार पहले से ही संदिग्ध था, लेकिन उसकी धार्मिक छवि के कारण कोई खुलकर सामने नहीं आया। अब जब पूरा मामला सामने आ चुका है, तो गांव में शोक और गुस्से का माहौल है।
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि सभी शालाओं में विशेष जागरूकता शिविर लगाए जाएं, जिनमें बच्चों को ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि वे किसी भी तरह की अनहोनी की स्थिति में निडर होकर परिजनों से बात कर सकें।