
हाथियों का आतंक: बालाझर गांव में एक और ग्रामीण की मौत, अब तक 4 लोगों को बना चुकी है शिकार
जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव क्षेत्र में एक मादा हाथी और उसका शावक दहशत का कारण बने हुए हैं। शनिवार सुबह बालाझर गांव के जंगल में हाथी के हमले में सालिक राम टोप्पो (52) नामक ग्रामीण की दर्दनाक मौत हो गई। यह वही हथिनी बताई जा रही है जिसने 3 दिन पहले रायगढ़ जिले के लैलूंगा क्षेत्र में एक मासूम बच्चे सहित 3 लोगों की जान ली थी।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सालिक राम जंगल की ओर गया था, तभी सामने से आ रही हथिनी ने उस पर अचानक हमला कर दिया और कुचलकर उसकी जान ले ली। गांव वालों का कहना है कि यह वही आक्रामक हथिनी है जो लुडेग हाई स्कूल होते हुए बालाझर गांव पहुंची है। शुक्रवार को इसी हथिनी ने स्कूल परिसर में खड़ी एक बाइक और वन विभाग की स्कॉर्पियो को भी नुकसान पहुंचाया था।
ड्रोन से निगरानी, वन विभाग अलर्ट मोड में
वन विभाग की टीम हथिनी और उसके शावक की निगरानी में लगी हुई है। ड्रोन कैमरों से लगातार ट्रैकिंग की जा रही है और संबंधित गांवों में अलर्ट जारी किया गया है ताकि लोग सतर्क रहें और जंगल या हथिनी के मूवमेंट वाले क्षेत्रों से दूर रहें।
पहले भी ले चुकी है तीन लोगों की जान
रायगढ़ के लैलूंगा में इस हथिनी ने तीन दिन पहले एक 3 साल के बच्चे और एक महिला को सूंड से पटककर मार डाला था, वहीं एक कच्चे मकान को ढहाने से उसकी दीवार नीचे गिर गई थी, जिससे तीसरे व्यक्ति की मौत हो गई। अब बालाझर गांव में सालिक राम की मौत के साथ मरने वालों की संख्या चार हो चुकी है।
हर साल बरसात में दोहराता है यह खतरा
बरसात के मौसम में हाथियों का जंगल से रिहायशी इलाकों की ओर रुख करना आम बात हो गई है। खाने की तलाश में ये हाथी धान के खेतों और गांवों में घुस आते हैं और तबाही मचा देते हैं। जशपुर, रायगढ़, सूरजपुर और सरगुजा जैसे इलाकों में हर साल ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। वन विभाग की लगातार कोशिशों और ट्रैकिंग के बावजूद इन घटनाओं पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं हो पा रहा है।
ग्रामीणों में दहशत, जल्द कार्रवाई की मांग
लगातार हो रही मौतों के चलते ग्रामीणों में भय का माहौल है। लोगों ने मांग की है कि हथिनी और उसके शावक को सुरक्षित रूप से पकड़कर जंगल में छोड़ा जाए या किसी सुरक्षित क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए ताकि और जनहानि न हो।
👉 वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अनावश्यक जंगल की ओर न जाएं और किसी भी तरह की जानकारी तुरंत वन अमले को दें।