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देवउठनी एकादशी के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, श्रीहरि होंगे प्रसन्न!

देवउठनी एकादशी के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, श्रीहरि होंगे प्रसन्न!

नई दिल्ली। आज देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ती है. यह दिन भगवान विष्णु की योग निद्रा से जागने का प्रतीक है. इस दिन से विष्णु जी जागृत होते हैं, जिससे मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और व्रत कथा सुनने से सभी पापों का नाश होता है और विष्णु जी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. ऐसे में अगर आप भी इस दिन श्रीहरि की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस व्रत कथा का पाठ जरूर करें.

देवउठनी एकादशी की कथा
देवउठनी एकादशी से जुड़ी व्रत कथाएं कई हैं, जिनमें एक प्रमुख कथा राजा और एक स्त्री की है. वहीं, एक अन्य कथा में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की बातचीत है, जिसमें भगवान वर्षा ऋतु के दौरान चार महीने के लिए शयन करने का निर्णय लेते हैं. आइए इन दोनों कथाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं.

राजा और स्त्री वाली कथा
एक राज्य में एकादशी पर अन्न नहीं बेचा जाता था और उस दिन प्रजा फलाहार करती थी. एक दिन भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया और वे सड़क पर बैठ गए. राजा उस स्त्री के सौंदर्य पर मोहित हो गए और उसे रानी बनने का प्रस्ताव दिया. लेकिन स्त्री ने एक शर्त रखी कि उसे राज्य का अधिकार और बनाया हुआ भोजन खाना होगा.

ऐसे में एकादशी के दिन विष्णु जी ने स्त्री के रूप में राजा को मांसाहार खाने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन राजा ने एकादशी व्रत का हवाला दिया. फिर विष्णु स्त्री ने वह शर्त याद दिलाई कि अगर राजा ने खाना नहीं खाया तो वह राजकुमार का सिर काट देगी. यह सुनकर राजा ने अपनी बड़ी रानी से सलाह ली, जिन्होंने कहा कि धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि पुत्र दोबारा आ सकता है, लेकिन धर्म नहीं.

जब राजकुमार ने यह सुना तो उसने स्वयं को बलिदान करने की पेशकश की. तभी रानी के रूप में भगवान विष्णु प्रकट हुए और राजा की धर्मपरायणता से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया. भगवान विष्णु ने राजा को मुक्ति और परम लोक में निवास का वरदान दिया. फिर राजा ने अपना राज्य पुत्र को सौंप दिया और विमान में बैठकर स्वर्ग चले गए.

भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की कथा
एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे दिन-रात जागते रहते हैं और जब सोते हैं, तो लाखों वर्षों के लिए सो जाते हैं, जिससे समस्त सृष्टि का नाश हो सकता है. ऐसे में उन्हें नियमित रूप से विश्राम करना चाहिए.

भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी की बात मानी और कहा कि वे वर्षा ऋतु के दौरान चार महीने के लिए शयन करेंगे, जिससे इस दौरान उन्हें भी आराम मिलेगा. भगवान विष्णु ने कहा कि उनकी यह निद्रा ‘अल्पनिद्रा’ कहलाएगी और यह उनके भक्तों के लिए मंगलकारी रहेगी. जो भी भक्त इस दौरान उनकी सेवा करेंगे, उनके घर में लक्ष्मी सहित वे निवास करेंगे.

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