छत्तीसगढ़ में बातों-बातों में, जंग लड़ने उठे हजारों हाथ
बिलासपुर। संकट के इस दौर में मुद्दा और विषय दोनाें ही कोरोना है। सुबह से लेकर देर रात तक जब तक नींद नहीं आ जाती, मन मस्तिष्क में कोरोना की ही गूंज रहती है। एक अहम सवाल यह भी है कि पता नहीं यह संकट का दौर कब तक रहेगा। सवाल के बीच मन ईश्वर को याद करने लगता है।
परात्मा ही जाने आगे क्या होगा? उनकी इच्छा क्या है वे ही जाने? कोरोना काल में अब स्वयंसेवी संगठनों के हाथ सेवाभाव के लिए उठने लगे हैं। जान की परवाह किए बगैर जरूरतमंदों की सेवा में हजारों हाथ उठ गए हैं। भोजन से लेकर दवा का इंतजाम और आक्सीजन से लेकर अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था।
अपनी हैसियत और जान-पहचान के सहारे हर कोई हर संभव मदद के लिए आगे आने लगे हैं। उठ रहे हजाराें हाथों को देखकर यही विश्वास जागता है कि अब कोरोना को हारना ही पड़ेगा।
कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर के बीच मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। बीते सात दिनों से 38 से 43 के बीच रहने वाला मौत का आंकड़ा शनिवार को 72 पार कर गया। निश्चिततौर पर यह डरावना है। सड़कें सूनी हैं। सुबह से देर रात तक गिनती के लोग ही नजर आ रहे हैं। ये और कोई नहीं जरूरी काम से घर से बाहर निकलने वाले लोग हैं।
इच्छा नहीं फिर भी विवशता के चलते घर की देहरी लांघ रहे हैं और बेमन से काम कर रहे हैं। परिस्थिति अनुकूल रहे या फिर प्रतिकूल, काम तो करना ही होगा। ऐसा कोई दिन नहीं है जब किसी ना किसी के स्वजन हमेशा हमेशा के लिए अलविदा ना कह रहे हों। उन्हें कड़े मन से अंतिम विदाई देनी पड़ रही है। अब तो घरों में भी लोग कोरोना का जिक्र आने पर कहने लगते हैं, प्लीज कुछ और बात करिए ना।
अफसर भी हो गए बेबस
प्रशासन ने शहर में चार सरकारी और तकरीबन 26 निजी अस्पतालाें को कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया है। यहां कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। बिस्तर के लिए मारामारी की स्थिति है। सरकारी हो या फिर निजी अस्पताल, दोनों ही जगहों पर स्थिति बेकाबू होने लगी है।
जिन्हें आक्सीजन की जरूरत है उनकी पीड़ा वे ही जान सकते हैं। आक्सीजन बेड मिल पा रहा है और ना ही वेंटीलेटर। संक्रमिताें व स्वजनों को राहत देने व चिकित्सा व्यवस्था के संबंध में जरूरी जानकारी देने के लिए कलेक्टर ने कोविड अस्पतालों के लिए नोडल अधिकारी की तैनाती कर दी है। उनके नाम व मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक करा दिया गया है। ये नोडल अफसर ना तो किसी मरीज को भर्ती करा पा रहे हैं और ना ही संक्रमण की स्थिति में जांच पड़ताल ही करवा पा रहे हैं। ये अफसर अपनी विवशता भी बखूबी समझते हैं, पर बताएं किसे।
युवाओं ने जमकर निकाली भड़ास
शनिवार दोपहर को दो से पांच बजे के बीच भाजपाइयों ने निवास स्थान पर धरना दिया। धरना स्थल पर बैनर पोस्टर भी सजा कर रखे थे। राज्य सरकार के खिलाफ छत्तीसगढ़ी में नारे भी लिखे गए थे। धरना के दौरान बैनर में जो नारे लिखे गए वह प्रदेश भाजपा कार्यालय ने उपलब्ध कराया था।
जिला कार्यालयों को वाट्सएप गु्रप के जरिए नारों की सूची भेजी गई थी। सूची में शामिल नाराें को पसंद के अनुसार भाजपाइयों ने लिखवा लिया था। वर्चुअल धरना प्रदर्शन की इंटरनेट मीडिया में धूम भी मची। युवा भाजपाई कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आए।
झक सफेद कुर्ता पायजामा पहने युवा भाजपाइयों का इंटरनेट मीडिया में सक्रियता देखते ही बन रही थी। अपनी भड़ास भी निकाल रहे थे। अवसर ही ऐसा था। टोकने वाला और ना ही रोकने वाला। अपनी इच्छा के अनुसार सरकार के खिलाफ भड़ास निकालते रहे। खुद ही वाणी को विराम भी देते रहे।