छत्तीसगढ़ में धान खरीदी: पूर्व मंत्री ने कहा- 28 सौ रुपए के साथ एक नवंबर से करें धान खरीदी, इन मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन
रायपुर। धान की खरीदी 1 नवम्बर से होनी चाहिए। साथ ही किसानों को धान का जो मुल्य है उसे 2800 रुपए प्रति क्विंटल देनी चाहिए। दो साल का जो बकाया बोनस है वो किसानों को दिया जाना चाहिए और किसानों को एकमुश्त 2800 रुपए का पेमेंट होना चाहिए। ये सभी मांग पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राज्य सरकार से की है। इन मांगों को लेकर बीजेेपी नेताओं ने कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है।
आज बीजेपी नेता व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, श्रीचंद सुंदरानी, नंदे साहू, छगन मुंदडा, अनुराग अग्रवाल ने आज प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें प्रदेश की कांग्रेस सरकार से धान खरीदी को लेकर विभिन्न मांग की गई।
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एक दिसंबर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में धान खरीदी की घोषणा कि है। 4 नवंबर से दिपावली है। ऐसे में क्या किसानों और आदिवासियों के घरों में दिवाली पर खुशहाली होगी। हम मांग करते है कि एक नवंबर से धान की खरीदी प्रारंभ होनी चाहिए। साथ ही किसानों को धान का जो मुल्य है उसे 2800 रुपए प्रति क्विंटर देनी चाहिए। दो साल का जो बकाया बोनस है वो किसानों को दिया जाना चाहिए और एकमुश्त किसानों को 2800 रुपए का पेमेंट होना चाहिए।
सरकार के कानों में तेल डालना चाहते है: बीजेपी
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि हम किसानों को जागृत करना चाह रहे है और ये सरकार जो नींद में सोयी हुई है किसानों का शोषण कर रही है उसकी आंखें खोलना चाहते है उसके कानों में तेल डालना चाहते है। अगर ये सरकार नहीं जागेगी तो आने वाले समय में जनता और किसान इसका बदला लेगी।
सरकार के खिलाफ वातावरण इसलिए लोगों को डूबोए रखने उत्सव मना रही है: बृजमोहन
बृजमोहन ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार किसानों का शोषण कर रही है, आदिवासियों, मजदूरों, महिलाओं व नवजवानों का शोषण कर रही है। कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है। ऐसी स्थिति में जब उनको लग रहा है कि चारों तरफ सरकार के खिलाफ वातावरण है तो उस समय उत्सव मनाकर लोगों को उसमें डूबोए रखना चाहती है। जिस दिन आदिवासी के घर में उत्सव हो, किसान के घर में उत्सव हो, गांव-गांव में लोग उत्सव मनाए तब हमंे लगेगा कि यहां के लोग खुश है। खाली यहां पर सरकारी उत्सव मनाकर उससे कोई लोगों को फायदा नहीं होना है, लोगों में खुशियां नहीं आनी है।