राजधानी में किसान आंदोलन : NRDA ऑफिस को महिलाओं ने घेरा; रोजगार और मुआवजे की मांग
रायपुर। देशभर में किसान आंदोलन पिछले सवा साल से चर्चा में रहा है। अब वह आंदोलन तो खत्म हो गया लेकिन नवा रायपुर इलाके में एक नया किसानों का आंदोलन शुरू हो गया है। सैकड़ों महिलाएं और पुरुष सोमवार को नवा रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी NRDA का आफिस घेरने पहुंच गए। बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने सड़क जाम कर दिया और सड़क पर बैठकर ही धरना देना शुरू कर दिया। नवा रायपुर में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटने की खबर पाते ही आसपास के थानों से पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। लोगों को हटाने की कोशिश की गई, मगर संख्या में ज्यादा महिलाओं ने सड़क से हटने से इंकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा। आसपास के किसान नेता भी इस आंदोलन में शामिल होने पहुंचे हैं और लोगों को संबोधित करते हुए अपने हक को छीनने की बात कह रहे हैं।
आंदोलन की वजह नवा रायपुर निर्माण से प्रभावित किसान कल्याण संघ के नेता साकेत चंद्राकर के मुताबिक 27 गांवों की जमीन लेकर नवा रायपुर इलाका विकसित किया गया है। अपनी जमीन देने वाले किसानों को आज तक उनके हक के लिए भटकना पड़ रहा है। हम सभी चाहते हैं कि किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाए, हर परिवार को 1200 स्क्वायर फीट जमीन दी जाए, जिन किसान परिवारों ने अपनी जमीन एनआरडीए को दी उनके बेरोजगार युवकों को रोजगार दिया जाए। उन्होंने कहा कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भी किसान इन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। तब कांग्रेस पार्टी ने इन मांगों को पूरा करने का वादा किया था।
मगर बीते 3 सालों से वादे पूरे नहीं हुए। हर साल प्रभावित किसानों को 15000 रुपए भी एनआरडीए की तरफ से दिए जाते थे, जो पिछले 3 सालों से नहीं मिले हैं। साकेत ने बताया कि इस वजह से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और अब सभी ने आंदोलन का रुख अख्तियार किया है। जब तक मांगें पूरी नहीं कर दी जाती तब तक इसी तरह से आंदोलन चलता रहेगा।
नवा रायपुर क्षेत्र के इन 27 गांवों में जमीन खरीदी-बिक्री पर रोक है। इस इलाके के किसान नेता रूपन चंद्राकर कहते हैं कि, साल 2005 से नवा रायपुर क्षेत्र के 27 गांवों में स्वतंत्र भूमि की खरीदी-बिक्री पर रोक लगी है। प्रभावितों को शादी-ब्याह, इलाज, मकान निर्माण के लिए जमीन रहते हुए भी बैंकों व अथॉरिटी द्वारा राशि नहीं मिलती। इसके कारण साहूकारों से अधिक ब्याज दर पर कर्जा लेना पड़ता है। ऐसे में इस प्रतिबंध को तत्काल खत्म किया जाना चाहिए।