छत्तीसगढ़

इस विकासखंड में मुख्यमंत्री के महत्वकांक्षी योजना का हाल बेहाल,65 गौठान ही पूर्ण, 37 अभी भी अधूरे पड़े

सरायपाली। सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना में से एक गोधन न्याय योजना, गौठान निर्माण व गौठान संचालन का काम शासन के मंशानुरूप नहीं हो पा रहा है। नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना को भूपेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है।

गोबर खरीदी व गौठान निर्माण की योजना की छत्तीसगढ़ मॉडल के रूप में देश-विदेश में चर्चा हो रही है। छुट्टे मवेशियों और खुद के संरक्षण के लिए गौठान निर्माण योजना कारगर सिद्ध होती, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही एवं योजना क्रियान्वयन एजेंसी की उदासीनता के चलते यह योजना फलीभूत होने के पहले दम तोड़ती नजर आ रही है। जब गौठान निर्माण की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की गई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जनपद पंचायत सरायपाली से जारी मिले आंकड़ों की बात करें तो 109 प्रस्तावित गोठानों में से मात्र 65 गोठान ही पूर्ण हो पाए हैं। अब भी 37 अधूरे पड़े हैं। 7 ग्राम पंचायतों में गोठान निर्माण का कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाया है। इस तरह आधे-अधूरे गोठान निर्माण से गोबर खरीदी एवं मवेशियों के संरक्षण का काम कैसे होता होगा आसानी से समझा जा सकता है। विभागीय अधिकारियों ने जिन गोठानों को कागजों में पूर्ण बताया जा रहा है उनमें भी कई ऐसे गोठान हैं, जो अधूरे पड़े हैं। भूपेश बघेल इन दिनों विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान गोठनों का हाल देखने किसी भी गोठान पहुंच गए तो एक-दो अधिकारी के ऊपर गाज गिर सकती है। जानकारी के अनुसार सरायपाली जनपद पंचायत अंतर्गत योजना के तहत कुल 109 ग्राम पंचायतों में गोठान निर्माण कार्य स्वीकृत है। उनमें से 65 कार्यों को पूर्ण बताया गया है। 7 ग्राम पंचायत मोहनमुण्डा, गोहेरापाली, नवरंगपुर, बालसी, कोकड़ी, बोन्दानवापाली, केंदुआ में स्वीकृत गोठान का कार्य ही प्रारंभ नहीं हो पाया है। काकेनचुआं, बोन्दानवापाली एवं केदुवां में कार्य प्रारंभ नहीं होने के लिए जमीन विवाद को वजह बताया गया है।

ग्राम पंचायतों में गौठानों का निर्माण पूर्ण हो गया है, वहां गोठानों का सही संचालन नहीं हो पा रहा है। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में गोठानों के संचालन के लिए गोठान समिति गठित की गई है। अध्यक्ष की उदासीनता के चलते गोठनों का सही संचालन नहीं हो पा रहा है। गोठान समितियों के अध्यक्ष को बदलने के लिए विधायक की अनुशंसा से लेकर प्रस्ताव को जनपद को भेजे जा चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

शासन की गोधन न्याय योजना का सही रूप से क्रियान्वयन नहीं होने से पशुपालकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। गोबर बेचने वाले पशुपालकों की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 109 ग्राम पंचायतों में 3652 पशुपालकों का गोबर विक्रेता के रूप में पंजीकृत थे, उनमें से 2459 किसानों से 21601 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई थी। इन किसानों को 43.20 लाख रुपए का भुगतान किया गया था। इस वर्ष अप्रैल माह में मात्र 51 ग्राम पंचायतों में गोबर की खरीदी की गई है। लाभान्वित किसानों की संख्या घटकर मात्र 153 रह गई है। जबकि, पंजीकृत किसानों की संख्या 2029 है। इस महीने के प्रथम सप्ताह में मात्र 17 ग्राम पंचायतों में गोबर खरीदी का कार्य चल रहा है। 648 पंजीकृत किसानों में से 49 पशुपालकों ने ही गोबर बेचा है।

गोबर खरीदी नहीं होने से टंकियां खाली पड़ीं

विभागीय अधिकारी व पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता सामने आई

सरायपाली नगर क्षेत्र से लगे ग्राम बैदपाली में नवनिर्मित गोठान का जब अवलोकन किया गया तो वहां पर न तो मवेशी देखने को मिला और न ही गोबर खरीदी की कोई माकूल व्यवस्था दिखी। लाखों रुपए खर्च कर गोठान का आधा-अधूरा निर्माण किया गया है, लेकिन वह भी देखरेख के अभाव में अनुपयोगी साबित हो रहा है। यहां पर न तो पानी की ठीक से व्यवस्था है न छांव की। वर्मी कंपोस्ट खाद के लिए शेड का तो निर्माण किया गया है, लेकिन वहां पर गोबर की खरीदी नहीं होने से टंकियां खाली पड़ी है। सोलर पंप के पास बना पम्प हाउस का दरवाजा गिरने की स्थिति में है। फिलहाल यह गोठान ग्रामीणों के लिए फिजूलखर्ची ही लग रहा है। भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष कामता पटेल ने प्रदेश सरकार के द्वारा मनरेगा मद का उपयोग कर गोठान निर्माण किए जाने का विरोध करते हुए इसके औचित्य पर सवाल उठाया है। उनका आरोप है कि लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी किसी भी गोठान में मवेशी को नहीं रखा जा रहा है।

पूरे देश में छत्तीसगढ़ ही एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जहां गोबर की खरीदी की जा रही है। इसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। जब भूपेश बघेल को यहां के गोबर खरीदी की जानकारी होगी तो किस एक्शन मूड में होंगे यह तो उस समय की परिस्थिति ही बताएगी। जब गोठान का निर्माण कार्य ही अधूरा है तो गोबर खरीदी या वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार करने का काम भी प्रभावित होना स्वभाविक है। प्रत्येक दिन प्रत्येक पंजीकृत पशुपालकों से गोबर की खरीदी नहीं हो पा रही है। ऐसे में सैकड़ों पशुपालक गोबर बेचने से वंचित हो रहे हैं। उचित मात्रा में गोबर की खरीदी नहीं होने से पर्याप्त मात्रा में वर्मी कंपोस्ट खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आने वाले खरीदी खरीफ सीजन में वर्मी कंपोस्ट खाद की किल्लत हो सकती है। गोठान निर्माण में हो रही विलंब को लेकर जब हकीकत जानने की कोशिश की गई तो सबसे बड़ी वजह विभागीय अधिकारियों की लापरवाही एवं पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता सामने आई है। गोठान निर्माण सरकार की प्राथमिकता में भले हो, लेकिन विभागीय अधिकारी कर्मचारी द्वारा उतनी तरजीह नहीं दी जा रही है। गोठान निर्माण कार्य मनरेगा के तहत स्वीकृत होने से फंड और मजदूरों की समस्या खड़ी हो रही है। ग्राम पंचायतों में मनरेगा के और कई कार्य स्वीकृत होने से मजदूरों का जॉब कार्ड में 100 दिन का कार्य दिवस पूर्ण हो जाता है। बाकी 50 दिन जुड़वाने के लिए विभाग से स्वीकृति लेनी पड़ती है। गोठान निर्माण के लिए सामग्री, मजदूरी का भुगतान समय पर नहीं मिलने से निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है।

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