एजुकेशन

आज का दिन भाई दूज, भाई और बहन के बीच पवित्र बंधन का प्रतीक , जाने आज का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

हिंदू धर्म में भाई दूज का विशेष महत्व है। पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली के त्योहार का समापन भाई दूज के दिन होता है। भाई दूज, भाई और बहन के बीच पवित्र बंधन का प्रतीक दिन, हर साल दिवाली के बाद मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए शुभ टीका कर उनके लंबे, सुखी और समृद्ध जीवन की प्रार्थना करती हैं। बदले में, भाई उन्हें उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने और उनकी देखभाल करने का वादा करते हैं। इस त्योहार को पूरे भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे- ‘भैया दूज’, ‘भाऊ बीज’, ‘भतरा द्वितीया’, ‘भाई द्वितीया’, ‘भथरू द्वितीया’, ‘भाई फोटा’ आदि।

 

यह हिंदी कैलेंडर के कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है। जबकि यह आमतौर पर दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है, यह इस साल दिवाली के तीन दिन बाद मनाया जाएगा। ऐसे में भाई दूज 26 अक्टूबर की जगह 27 अक्टूबर यानी गुरुवार को मनाया जाएगा।

 

 

ज्योतिषाचार्यों ने तिथियों में बदलाव का कारण बताते हुए कहा, “25 अक्टूबर को आंशिक सूर्य ग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा को 26 अक्टूबर के लिए पुनर्निर्धारित किया गया है। इसी तरह भाई दूज को एक दिन बढ़ाकर 27 अक्टूबर कर दिया गया है।”

 

शुभ मुहूर्त-

ज्योतिषों के अनुसार भाई दूज का पर्व मनाने का शुभ मुहूर्त बुधवार दोपहर 2:34 बजे से शुरू होकर गुरुवार दोपहर 1:18 बजे से 3:30 बजे तक चलेगा।

 

पूजन सामग्री लिस्ट व विधि-

पूजा के लिए, एक थाली में एक गोल थाली, छोटा दीया, रोली टीका, थोड़ा चावल, नारियल, बताशा, मिठाई और कुछ पान के पत्ते होने चाहिए। बहन सबसे पहले अपने भाई के माथे पर टीका लगाती है, उसकी सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। बदले में भाई उसे उपहार, प्यार और गर्मजोशी से भर देता है। अलग-अलग घरों में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जा सकता है और मंत्र अलग-अलग हो सकते हैं।

 

व्रत कथा-

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।

 

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button