छत्तीसगढ़दंतेवाड़ा

नशे के खिलाफ पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई: थाना प्रभारी संजय यादव की सख्ती से बदला माहौल

हेमन्त कुमार साहू,

दंतेवाड़ा। दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल शहर में अवैध शराब और सूखे नशे (गांजा, टैबलेट, सिरप) के कारोबार पर अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई देखने को मिल रही है। किरंदुल पुलिस थाना के नए थाना प्रभारी संजय यादव ने जैसे ही कमान संभाली, उन्होंने नशे के अवैध कारोबार पर नकेल कसने का बीड़ा उठाया। उनके नेतृत्व में पुलिस ने पिछले कुछ दिनों में शराब तस्करों और सूखे नशे के कारोबारियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की है, जिससे न केवल अपराध पर अंकुश लगा है, बल्कि स्थानीय निवासियों, खासकर महिलाओं और बच्चों में सुरक्षा की भावना जगी है।

नशे के खिलाफ पुलिस की सख्ती

थाना प्रभारी संजय यादव के नेतृत्व में किरंदुल पुलिस ने अब तक दो शराब तस्करों और एक सूखे नशे के कारोबारी को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।

पिछले 10 दिनों में दंतेवाड़ा जिले में नशे के खिलाफ कुल पांच बड़ी कार्रवाइयां की गई हैं। इनमें सबसे उल्लेखनीय कार्रवाई वार्ड नंबर 4 के बंगाली कैंप में रही, जहां सुभाष नामक व्यक्ति के पास से सूखे नशे की दवाइयों की बड़ी खेप जब्त की गई। यह कार्रवाई न केवल किरंदुल पुलिस की सक्रियता को दर्शाती है, बल्कि दंतेवाड़ा जिला पुलिस की नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को भी रेखांकित करती है।

स्थानीय समस्याएं और पुलिस की भूमिका

किरंदुल में वर्षों से शराब तस्करों और नशे के कारोबारियों का बोलबाला रहा है। मल्लपा कैंप, गजराज कैंप, चिकन मार्केट, और न्यू टाइप-3 जैसे क्षेत्र सुबह 5 बजे से ही शराबियों का अड्डा बन जाते थे। इन इलाकों में शराब और नशे की बिक्री ने सामाजिक माहौल को दूषित कर दिया था। खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए इन क्षेत्रों से गुजरना असुरक्षित हो गया था।

वार्ड नंबर 6 की मल्लपा कैंप की एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारे मोहल्ले में शराब की दुकानें खुलेआम चल रही थीं। हमारे घर में लड़कियां हैं, स्कूल या बाजार जाना मुश्किल था। चौक पर हमेशा शराबियों का जमावड़ा रहता था। शाम को तो डर के मारे कोई महिला वहां से गुजरने की हिम्मत नहीं करती थी।” उन्होंने थाना प्रभारी संजय यादव की कार्रवाइयों की सराहना करते हुए कहा, “अब हालात बदल रहे हैं। हम संजय यादव जी का तहेदिल से धन्यवाद करते हैं।”

इसी तरह, वार्ड नंबर 3 की महिलाओं ने भी पुलिस की कार्रवाइयों का स्वागत किया और मांग की कि उनके वार्ड में भी ऐसी ही सख्ती बरती जाए। वार्ड नंबर 1 की निवासी शांति सरकार ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा, “सरकार हमें 1000 रुपये महीना दे रही है, लेकिन शराब इतनी सस्ती और उपलब्ध है कि मेरे पति रोज पीकर घर आते हैं। मैं संजय यादव जी को धन्यवाद देती हूं और शराब की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग करती हूं।”

महिलाओं और बच्चों में बढ़ा भरोसा

किरंदुल में नशे के खिलाफ पुलिस की कार्रवाइयों ने महिलाओं और बच्चों में एक नया विश्वास जगाया है। पहले जहां चौक-चौराहों पर शराबियों का जमावड़ा आम बात थी, वहीं अब पुलिस की सक्रियता के कारण ऐसे अड्डों पर कमी आई है। महिलाएं अब पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित महसूस करने लगी हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि थाना प्रभारी संजय यादव की सख्ती और उनकी त्वरित कार्रवाइयों ने नशे के कारोबारियों में डर पैदा किया है।

पुलिस की चुनौतियां और भविष्य की रणनीति

हालांकि, पुलिस के सामने कई चुनौतियां भी हैं। आदिवासियों द्वारा देसी शराब की बिक्री एक सामाजिक और आर्थिक समस्या से जुड़ी है, जिसके लिए वैकल्पिक उपायों की जरूरत है। इसके अलावा, सूखे नशे जैसे टैबलेट, गांजा, और सिरप का बढ़ता कारोबार एक गंभीर चिंता का विषय है। थाना प्रभारी संजय यादव ने इस दिशा में कड़े कदम उठाने का भरोसा दिलाया है। उनकी रणनीति में न केवल तस्करों की गिरफ्तारी और सामान की जब्ती शामिल है, बल्कि सामुदायिक जागरूकता और स्थानीय लोगों के सहयोग को बढ़ावा देना भी है।

दंतेवाड़ा पुलिस की काबिल-ए-तारीफ कार्रवाई

दंतेवाड़ा जिला पुलिस की यह कार्रवाई नशे के खिलाफ एक मिसाल बन रही है। पिछले 10 दिनों में पांच बड़ी कार्रवाइयों ने न केवल तस्करों के हौसले पस्त किए हैं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी दिया है। किरंदुल के निवासियों का कहना है कि अगर ऐसी कार्रवाइयां निरंतर जारी रहीं, तो शहर नशे की गिरफ्त से पूरी तरह मुक्त हो सकता है।

किरंदुल में थाना प्रभारी संजय यादव के नेतृत्व में पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाइयों ने नशे के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। उनकी सक्रियता और सख्ती ने न केवल अपराधियों में खौफ पैदा किया है, बल्कि स्थानीय निवासियों, खासकर महिलाओं और बच्चों में सुरक्षा और भरोसे का माहौल बनाया है। दंतेवाड़ा पुलिस की यह मुहिम नशे के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई का प्रतीक है, और अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो किरंदुल जल्द ही नशामुक्त शहर का उदाहरण बन सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button