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ग्राम चिरपोटा में तीन वर्षों से अधूरा पड़ा सामुदायिक भवन, घटिया निर्माण व नियम उल्लंघन का आरोप

ग्राम चिरपोटा में तीन वर्षों से अधूरा पड़ा सामुदायिक भवन, घटिया निर्माण व नियम उल्लंघन का आरोप

बलौदाबाजार। जनपद पंचायत बलौदाबाजार के अंतर्गत ग्राम पंचायत चिरपोटा में निर्मित हो रहा सामुदायिक भवन पिछले तीन वर्षों से अधूरा पड़ा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि भवन का निर्माण अत्यंत घटिया गुणवत्ता से किया गया, जिसके कारण दीवारें कुछ ही दिनों में भरभराकर गिर गईं और भवन की ईंटें आज भी खुले मैदान में बिखरी हुई हैं।

स्थानीय ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार, भवन का निर्माण ग्राम के तालाब के समीप एक मैदान में किया जा रहा है। लेकिन मौके पर किसी प्रकार का सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिससे यह जानकारी नहीं मिल पाती कि निर्माण कार्य कब प्रारंभ हुआ, कार्य करने वाली एजेंसी कौन है, और निर्माण की निर्धारित समयसीमा क्या है। यह स्थिति सार्वजनिक निर्माण कार्यों के लिए निर्धारित CPWD गाइडलाइंस और पंचायत निर्माण मैनुअल का सीधा उल्लंघन है, जिनमें कार्य स्थल पर सूचना बोर्ड अनिवार्य किया गया है।

ग्राम के वर्तमान सचिव ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि यह निर्माण कार्य उनके कार्यकाल का नहीं है, बल्कि यह कार्य पूर्व सचिव विष्णु वर्मा और पूर्व सरपंच के कार्यकाल में स्वीकृत हुआ था। ग्रामीणों की नाराजगी का मुख्य केंद्र भी यही दोनों पूर्व पदाधिकारी हैं, जिन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

जनपद पंचायत बलौदाबाजार के निर्माण शाखा प्रभारी ने बताया कि यह भवन निर्माण कार्य 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्वीकृत किया गया था, जिसके लिए ₹3.44 लाख की राशि निर्धारित की गई थी। इस राशि की 40% पहली किश्त जारी कर दी गई थी, लेकिन समय पर निर्माण कार्य नहीं कराया गया जिससे भवन अधूरा रह गया।

उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में RES (ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा) विभाग के इंजीनियर को स्थल निरीक्षण व तकनीकी मूल्यांकन के लिए निर्देशित किया गया है। यह संभावना भी जताई जा रही है कि वर्तमान स्वीकृत राशि में भवन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाएगा, लेकिन अंतिम निर्णय इंजीनियर की रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा।

ग्रामीणों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों में इस लापरवाही को लेकर रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि विभागीय लापरवाही और घटिया निर्माण कार्य ने सार्वजनिक धन और संसाधनों की बर्बादी की है। ग्रामवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द निर्माण कार्य का पुनर्मूल्यांकन कर कार्य पूर्ण कराया जाए, जिससे गांव को सामुदायिक सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।

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