छत्तीसगढ़

राजधानी में मां ने पाया नया जीवन तो बेटे ने जरूतमंद मरीज को किया प्लाज्मा दान

रायपुर। राजधानी रायपुर के फाफाडीह निवासी अनूप ओझा की 65 वर्षीय मां तारा ओझा का पिछले दिनों अचानक ब्रेन हेमरेज होने पर हालत बिगड़ रही थी।

कोरोना के कहर के चलते सरकारी व निजी अस्पतालों में न तो बेड न ही आक्सीजन मिल रहे थे। मां की हालत खराब होते देख अनूप ओझा ने पुलिस परिवार के हेड कांस्टेबल परमानंद सिंह को काल कर मदद मांगी।

आधी रात को एक निजी अस्पताल में बेड व आक्सीजन की व्यवस्था पुलिस परिवार ने कराई। इस तरह अनूप की मां की जान समय पर इलाज होने से बच गई। मां को नया जीवन दान मिलने से अनूप ने भी पुलिस परिवार की तरह जरूरतमंदों की मदद करने की ठान ली।

दो दिन बाद ही वह समय भी आया, एक गंभीर मरीज को प्लाज्मा की जरूरत पड़ने पर परमानंद और उनके बेटे परमवीर सिंह ने अनूप को याद किया और स्थिति से अवगत कराया। वह तत्काल प्लाज्मा दान करने तैयार हो गया।

प्रवीण ने निजी अस्ताल जाकर गंभीर मरीज को प्लाज्मा दान कर उसकी जान बचाकर मानवता की मिसाल पेश की है। अनूप ओझा का कहना है कि उनके लिए यह सौभाग्य है कि किसी की मदद के काम आ पाए।

पिछले साल कोरोना संकटकाल में जब लोग घरों में कैद थे, तब पुलिस परिवार के 14 से लेकर 27 साल के बच्चों ने एक संगठन बनाकर शहर के गरीब, जरूरतमंदों की मदद के लिए कच्चा राशन, ताजा भोजन का पैकेट, पानी, हरी सब्जी, दवाईया आदि छह महीने तक वितरित करने का काम किया।बच्चो के हौसले और जज्बे को देख कर राजधानी के कई संगठनों ने भी मदद के हाथ बढ़ाए।

पुलिस परिवार का सहयोग भिलाई के अजय चौहान समूह ने खुलकर की। कोरोना काल में काम करते पुलिस परिवार के आठ लोग कोरोना संक्रमित भी हो गए थे फिर भी हिम्मत नहीं हारी। कोरोना से जंग जीतकर लौटने के बाद एक मंदिर के पुजारी की बेटी की शादी करवायी।

अब यह परिवार जरूरतमंदों को प्लाज्मा, खून दिलाने के साथ अस्पतालों में बेड, आक्सीजन, वेटिंलेटर दिलाने में मदद कर रहा है। पुलिस परिवार के सदस्यों ने लोगों से अपील की है कि कोरोना से डरना नहीं, लड़कर जीतना है।

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