बस्तर में पुलिस गोलीबारी से तीन ग्रामीणों की मौत पर बोले कांग्रेस सांसद तंखा-आदिवासी नक्सली नहीं
रायपुर। बस्तर में पुलिस गोलीबारी से तीन आदिवासियों की मौत के मामले में राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा ने कड़ी टिप्पणी की है। तंखा ने ट्वीट करके कहा कि आदिवासी नक्सली नहीं है। वे हमारे अपने लोग हैं, जो समय के साथ पुराने प्रशासनिक और अब पुलिस की ज्यादतियों से अलग हो गए हैं। तंखा का ट्वीट ऐसे समय में आया है, जब आदिवासियों की मौत को लेकर पूरे देश में विरोध हो रहा हैै।
इंटरनेट मीडिया पर बस्तर में नरसंहार बंद हो ट्रेंड कर रहा है, जिसमें देशभर के आदिवासी आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। सामाजिक संगठनों ने पुलिस कैंप का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर फायरिंग की उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच कराने की मांग की। साथ ही दोषियों के खिलाफ हत्या का अपराधिक मामला दर्ज करने की भी मांग की।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला, नंदकुमार कश्यप, विजय भाई, संजय पराते, रिनचिन और रमाकांत बंजारे ने संयुक्त बयान जारी करके कहा कि गोलीबारी में मारे गए आदिवासियों के परिजनों को सरकार तत्काल मुआवजा प्रदान करे। घायलों के बेहतर इलाज की व्यवस्था कर उनको भी मुआवजा दिया जाए।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन किसी भी तरह की हिंसा का विरोध करता है और सरकार से अपेक्षा रखता है कि वह आंदोलनरत आदिवासियों के साथ व्यापक विचार- विमर्श कर न सिर्फ उनकी चिंताओं का समाधान करेगी, बल्कि सुरक्षा बलों के द्वारा हो रहे दमन को रोकने कड़े कदम भी उठाएगी। खनन परियोजनाओं और नए कैंपों की स्थापना के खिलाफ विरोध भी हो रहा है।
राज्य सरकार आदिवासी आंदोलनों की मांगों को संवेदनशीलता के साथ विचार करने के बजाए उन्हें माओवादी बताकर दमन का रास्ता अपना रही है। बस्तर के मामले में वर्तमान सरकार पूर्ववर्ती रमन सरकार के रास्ते पर ही चलने की कोशिश कर रही है, जिसका परिणाम है कि आज भी फर्जी मुठभेड़ और दमन जारी है।