छत्तीसगढ़

सिंचाई पानी की मांग शुरू , गंगरेल में महज 40 प्रतिशत पानी

रायपुर। अनियमित व अपर्याप्त बरसात के चलते खरीफ धान की फसल प्रभावित होना शुरू हो जाने की स्थिति को देखते हुये किसानों ने सिंचाई हेतु गंगरेल का गेट खोलने की मांग शुरू कर दी है । इधर गंगरेल बांध में महज 40 प्रतिशत पानी का भराव आज की स्थिति में है और अवर्षा की‌ स्थिति में निस्तारी जल सुरक्षित रखना शासन – प्रशासन की पहली प्राथमिकता है । अवर्षा की‌ वजह से फिलहाल कन्हार खेतों की फसलों को छोड़ शेष खेती की भूमियों को तत्काल सिंचाई पानी की आवश्यकता के मद्देनजर किसानों की मांग पर बंगोली सिंचाई उपसंभाग के अधीनस्थ आने वाले जल उपभोक्ता संस्थाओं के पूर्व अध्यक्षों ने आयोजित बैठक में संपूर्ण परिस्थितियों पर विचार उपरांत फसल बचाने निस्तारी पानी सुरक्षित रख शेष अतिरिक्त पानी को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराने शासन – प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने का प्रस्ताव पारित किया है ।

ज्ञातव्य हो कि सामयिक बरसात न होने की वजह से खेतों में खड़ी धान के पौधों पर प्रतिकूल असर पड़ना शुरू हो चला है । कहीं कहीं रोपाई – बियासी का काम ठप्प हो चला है तो खेतों में पानी नहीं होने की वजह से खरपतवार भी तेजी से बढ़ना शुरू हो गया है । किसानों के अनुसार कन्हार खेतों की फसल तो अभी और कुछ दिन अवर्षा की‌ स्थिति को सह सकता है पर भाठा टिकरा व मटासी के धान फसल बचाने तत्काल पानी की आवश्यकता है । इधर सिंचाई विभाग के डाटा सेंटर के रिकार्ड के अनुसार गंगरेल में करीबन 40 प्रतिशत ही पानी का भराव है । किसानों द्वारा पानी की आवश्यकता महसूस किये जाने व स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये महानदी जलाशय परियोजना के अधीनस्थ जल प्रबंध संभाग क्रमांक 1 के अधीन आने वाले जल उपभोक्ता संस्थाओं के पूर्व अध्यक्षों की एक आहूत बैठक में इस संबंध में व्यापक विचार विमर्श किया गया । बैठक में भूपेन्द्र शर्मा , गोविंद चन्द्राकर , थानसिह साहू ,हिरेश चन्द्राकर , चिंताराम वर्मा , प्रहलाद चन्द्राकर , भारतेन्दु साहू , धनीराम साहू , तुलाराम चन्द्राकर मौजूद थे । बैठक में खेती के लिये सामयिक वर्षा न होने व इससे उत्पन्न परिस्थितियों पर समग्र रूप से विचार किया गया । बरसात के इस मौसम में आगामी दिनों में बरसात न‌ होने पर निस्तारी हेतु पानी सुरक्षित रखने की आवश्यकता को सभी ने स्वीकार कर कहा कि अनाज की आपूर्ति तो कहीं से भी की जा सकती है पर पानी का नहीं और इसलिये निस्तारी पानी सुरक्षित रखा जाना तो अपरिहार्य है पर आवश्यक पानी को सुरक्षित रखने के बाद शेष बच रहे पानी को सिंचाई हेतु किसानो को उपलब्ध कराने की मांग रखी जा सकती है क्योंकि फसल बर्बाद होने पर सिंचाई पानी देने का कोई औचित्य नहीं रह जावेगा । श्री शर्मा ने ग्रीष्मकालीन धान के लिये बांध से पानी दिये जाने की शासन की प्रवृति को इस संकट के लिये जिम्मेदार ठहराते हुये कहा कि बांध के कमांड एरिया में आने वाले एक निश्चित क्षेत्र महज अधिकतम 5 प्रतिशत खेतों को ही हर साल इसका लाभ मिलता है और 95 प्रतिशत खेतों के मालिकों को खरीफ धान में इसका परिणाम भुगतना पड़ता है । बीते कई वर्षों से यही स्थिति आने व हर बार बाद में बांध के कमांड एरिया में पानी गिर जाने से फसल को सिंचाई मिलने की बात कहते हुये उन्होंने कहा कि इस बार भी रबी धान हेतु पानी नहीं दिया जाता तो आज गंगरेल से पानी मिलना शुरू हो गया रहता । बैठक में निस्तारी पानी ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌सुरक्षित रखने के बाद शेष अतिरिक्त पानी को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराने शासन प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराने का निर्णय लिया गया । ज्ञातव्य हो कि भाजपा ने भी बांधों से सिंचाई पानी छोड़ने की मांग की है वहीं किसान नेता पारसनाथ साहू व गजेन्द्र सिंह कोसले ने‌ बीते 26 जुलाई को अनुविभागीय अधिकारी ‌‌‌‌‌‌आरंग के माध्यम से शासन प्रशासन का ध्यानाकर्षण के बाद भी अभी तक सिंचाई हेतु पानी न छोड़ें जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुये कहा है कि बांध में 40 प्रतिशत पानी रहने के बाद भी किसानों को पानी मुहैय्या न कराये जाने पर आंदोलनात्मक रुख अपनाया जायेगा ।

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