छत्तीसगढ़

राजधानी में कुपोषण पर नियंत्रण के लिए सरकार का प्रयास सराहनीय

रायपुर। सरकार ने राज्य को तीन वर्षों में कुपोषण मुक्त करने का लक्ष्य रखकर सुपोषण अभियान शुरू किया था। इसका अभियान का सुपरिणाम सामने आने लगा है। प्रदेश में जनवरी 2019 में कुपोषित बच्चों की संख्या चार लाख थी, मगर मई 2021 में डेढ़ लाख बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए।

यानी पहले साल का लक्ष्य हासिल कर लिया गया। यह सरकार द्वारा कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में बड़ी जीत है। यह सफलता इस बात का भी संकेतहै कि सरकार योजना के प्रति गंभीर थी। जाहिर है कि सरकार की योजनाओं के लिए निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए अगर प्रशासनिक तंत्र चाहे तो पूरा कर सकता है।

राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-चार के अनुसार छत्तीसगढ़ में देश के पांच वर्ष से कम उम्र के 37.7 फीसद बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे। सर्वेक्षण के मुताबिक कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों केबच्चे थे। कुपोषण एक गंभीर स्थिति है। ऐसा तब होता है, जब किसी व्यक्ति केआहार में पोषक तत्वों की सही मात्रा नहीं होती है। भोजन स्वस्थ रखने के लिए ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है।

अगर भोजन से शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते हैं तो कोई भी कुपोषण का शिकार हो सकता है। इसकेशिकार बच्चे जिंदगी की दौड़ में पिछड़ जाते हैं, क्योंकि उनका मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता। इसके कारण उनमें बहुत सी बीमारियां हो जाती हैं। राज्य में एक बड़ी आबादी गरीबी स्तर के नीचे जीवन जीती है।

ऐसे परिवार में माता-पिता केपास पर्याप्त आय नहीं होती। इसके कारण वे अपने बच्चों का सही तरह से पालन पोषण नहीं कर पाते हैं। ऐसे अभावग्रस्त दंपती को जब संतान पैदा होती तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषक पदार्थ नहीं मिल पाता। इस कारण वे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती दो अक्टूबर 2019 से प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू किया गया।

सुपोषण अभियान के साथ विभिन्न् योजनाओं के एकीकृत और समन्वित प्रयास से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है। प्रदेश में जनवरी 2019 की स्थिति में चिन्हांकित कुपोषित बच्चों की संख्या चार लाख 33 हजार 541 थी। इनमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 प्रतिशत अर्थात एक लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है।

राज्य सरकार का यह प्रयास निसंदेह सराहनीय है। अगर सरकार इसी तरह अपने लक्ष्य पर बढ़ती रही और जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों ने इमानदारी से कर्तव्यों का निवर्हन किया तो तीन साल बाद प्रदेश कुपोषण का आंकडा शून्य हो जाएगा। आशा की जानी चाहिए कि राज्य को यह इसका सुपरिणाम निर्धारित समयावधि से पहले मिल जाएगा।

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