खरोरा। आज हमारे देश और सनातन का सबसे बड़ा पर्व दीपावली है आज श्री महालक्ष्मी जी का पूजन पश्चात् हमारे ग्रामीण अंचल मे आदिवासी परम्परा की थाप लिए ग्रामीण व्यवस्था के अंतर्गत आयोजन की रूप रेखा गांव के गोड़ ( ध्रुव ) परिवार द्वारा माँ महागौरी और श्री शिव जी के अनन्य रूप गौरा-गौरी के अनुपम विवाह का आयोजन करते हैं जो गोवर्धन पूजा के दिन सुबह दर्शन पश्चात् विसर्जन होती है। जिसकी तैयारी आज मिट्टी से गौरा-गौरी के प्रतिरुप बनाकर प्रातः बरात प्रस्थान करते हैं और विवाह होने के पश्चात माँ गौरा और गौरी को गाँव में स्थित गौरा चौरा में दर्शन हेतु विराजित करते है तत्पश्चात् बाजे-गाजे के साथ भव्य यात्रा निकलती है और विसर्जन होता है इस कार्यक्रम में अनेक पारम्परिक रीतियों का मिश्रण होता हैं। जिसने सुवा नृत्य करने वाले युवती व महिलायें कन्या पक्ष तो बैगा ध्रुव परिवार वर पक्ष का नियम ( नेंग ) निभाते है इस पारम्परिक आयोजन से ग्रामीण अंचल में त्यौहार की रौनक़ और बढ़ जाती है तथा स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आये लोगों के लिए एक कौतुहल का विषय होता है तथा हमारे संस्कृति की सुंदरता को सुरक्षित और समृद्ध करता यह पर्व अपने आप में एक विशेष स्थान रखता है।
आज हम इस विषय पर चर्चा करने हेतु ग्राम करमा के देवचरण वर्मा से मिले जो गौरा-गौरी का निर्माण पिछले 40 वर्षो से स्व: दाऊलाल धुरंधर और साथियों के साथ कर रहे हैं इससे पूर्व मे गाँव के बुजुर्गो द्वारा यह परम्परा चल रहा था इस आयोजन में गाँव के गोड़ परिवार का मुख्य सहभागिता होती है जिसमें इनकी कई पीढ़ी आ रहे है। इस वर्ष इस आयोजन में मुख्य रूप से बिरसिंग निषाद बैगा, देवचरण वर्मा, लखन ध्रुव, अश्वनी ध्रुव,तिलक ध्रुव, ईश्वर ध्रुव उत्तम धुरंधर,गामू धुरंधर, पीताम्बर वर्मा रामजी वर्मा,रवि कुमार तिवारी, मुरली यादव, बलराम वर्मा तथा सुवा में गिरजा यादव, लेखनी ध्रुव, जैनबती ध्रुव, रानी ध्रुव,भूमिका वर्मा, पूजा निषाद, जया वर्मा, हिना निषाद एवं कुमारी बाई सहभागिता निभाई रही।