रायपुर

इकलौते बेटे की शहादत से बूढ़ी मां का आसरा ही छीन गया,शहीद की पत्नी अनुकंपा नौकरी लेकर कर ली किसी दूसरे से शादी

रायपुर: झीरमघाटी नक्सल नरसंहार में अपने इकलौते बेटे की शहादत से बूढ़ी मां का आसरा ही छीन गया है। हम बात कर रहे हैं इस हमले में शहीद हुए कांग्रेस नेता नंदकुमार पटेल के फॉलोगार्ड की मां के बारे में। बेटे की शहादत के बाद बहू को अनुकंपा नियुक्ति मिल गई और बाद में उसने अपना अलग घर बसा लिया। शासन के नियमों का ऐसा रोड़ा कि शहीद की मां को पेंशन भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में इकलौते बेटे की मौत के बाद भी उनके बजाए बहू को पेंशन मिल रहा है। महिला आयोग ने उनकी फरियाद पर मुख्यमंत्री और डीजीपी को पत्र भेजने का फैसला लिया है।

सोमवार को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ.किरणमयी नायक, सदस्य अर्चना उपाध्याय और शशिकांता राठौर ने बिलासपुर में सिंचाई विभाग के सभागार प्रार्थना भवन में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की। जिले की सुनवाई में आज 30 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 11 प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए। इस दौरान एक ऐसा भी मामला सामने आया, जिसका समाधान उनके पास नहीं था। ऐसे में उन्होंने मामले में ऑर्डरशीट की प्रमाणित प्रति के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री और डीजीपी को पत्र भेजने का निर्णय लिया है।

दरअसल, साल 2011 में जिस समय झीरम घाटी में प्रदेश का सबसे बड़ा नक्सली हमला हुआ, तब शहीद कांग्रेस नेता नंदकुमार पटेल के फॉलोगार्ड दीपक की जगदलपुर में पोस्टिंग थी। इस हमले में दीपक भी शहीद हो गया। वह अपनी माता-पिता का इकलौता बेटा था और 2008 में नौकरी में आया था। तब नॉमिनी में उसकी मां चंपाबाई का नाम दर्ज था। इसके चलते उसकी विधवा पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पा रही थी। तब सामाजिक, पारिवारिक और विभागीय सदस्यों की समझाइश पर शहीद की मां ने बहू को अनुकंपा नियुक्ति देने सहमति दे दी। इसके आधार पर बहू असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर बन गईं और आईजी ऑफिस में उसकी पदस्थापना हुई। इसके बाद से उन्हें एकमुश्त 38 लाख रुपए मिलने के साथ 20 हजार पेंशन मिलने लगा। बहू ने अपनी सास और ससुर को 12 लाख रूपए दी। बाद में बहू ने साल 2019 में विभाग में बाबू के साथ दूसरी शादी कर ली।

बहू अलग हुई तो पड़े पेंशन के लाले

बहू की शादी करने के बाद शहीद की मां अकेली रह गईं। अब अपने शहीद बेटे के पेंशन के लिए उसे मोहताज होना पड़ गया। ऐसे में परेशान होकर उन्होंने अपनी बहू की अनुकंपा नियुक्त निरस्त करने और पेंशन पाने के लिए कई जगह शिकायत की। लेकिन, नियमों की आड़ में उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार, परेशान मां ने महिला आयोग से शिकायत की। सोमवार को महिला आयोग ने दोनों पक्षों को सुना और समझाइश दी। साथ ही कहा कि अनुकंपा नियुक्ति पर बहू बनी रहे और पेंशन की पात्रता शहीद की मां को दी जाए। इसके लिए बहू भी तैयार हो गई।

शासन के नियम में नहीं है प्रावधान

शासन के नियम अनुसार इस तरह अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों में शहीद होने वाले या फिर शासकीय सेवा के दौरान निधन होने पर नॉमिनी को ही पूरा लाभ देने का प्रावधान है। यही वजह है कि अनुकंपा नियुक्ति के साथ नॉमिनी यानि पत्नी को पेंशन की पात्रता दी जाती है। ऐसे केस में दोनों पक्षों की सहमति के बाद भी पेंशन की पात्रता शहीद की मां और पिता को नहीं माना जा सकता। हालांकि, अब आयोग ने इस मामले में फैसला लेने का भरोसा दिया है।

महिला का अंगूठा लगाकर बैंक से निकाल लिए पैसे

आयोग की सुनवाई के दौरान वृद्ध महिला ने आरोप लगाया कि उनके बैंक खाते से पैसे निकालकर गबन कर लिया गया है, जिसमें उन्होंने बैंक मैनेजर के खिलाफ शिकायत की है। उनके बैंक खाते से साल 2016 से 2019 तक अलग-अलग समय पर पर्ची में अंगूठा लगाकर पैसे निकाले गए हैं। उस समय खाते में पैसे बचे थे। लेकिन बाद में खाते से पैसे कम हो गए। महिला ने सरकंडा थाने में भी शिकायत की थी, जिसकी जांच में पता चला कि सभी विड्रॉल फॉर्म में

महिला के अंगूठे के निशान हैं। ऐसे में पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि किसी और ने पैसे निकाले हैं। वृद्ध महिला ने बैंक से सीसीटीवी फुटेज की जांच कराने की मांग की, तब बताया गया कि 6 माह से पुराना सीसीटीवी कैमरे का रिकॉर्ड नहीं रहता। आयोग ने महिला को समझाइश दी कि बिना गवाह एवं दस्तावेज के किसी पर आरोप लगाना गलत है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button