छत्तीसगढ़ के घरों में मां चंद्रघंटा की मंगल आरती
बिलासपुर। नवरात्र के तीसरे दिन गुरुवार को श्रद्धालुओं ने मां चंद्रघंटा स्वरूप की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। कोरोना संक्रमण के बीच भक्तों ने घरों में मंगल आरती कर भोग प्रसाद चढ़ाया।
मां महामाया मंदिर रतनपुर में कमल के फूल अर्पित कर मातारानी को पुजारियों ने प्रसन्न् किया। न्यायधानी के मंदिरों में भक्तों का प्रवेश बंद था इसलिए भक्तों ने आनलाइन ज्योतिकलश के दर्शन किए।
शहर समेत ग्रामीण इलाकों में नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा विधिपूर्वक पूजी गई। भक्तों ने अपने घरों से पूजा-अर्चना कर परिवार के मंगल की कामना की। जयकारे से घर और आंगन गुंजायमान रहे।
श्रद्धालुओं ने पूजन कर कोरोना की समाप्ति का वरदान मांगा। मां महामाया मंदिर रतनुपर में भक्तों ने आनलाइन ज्योतिकलश के दर्शन किए।
काली मंदिर तिफरा में 1612, दुर्गा मंदिर जरहाभाठा में 520, दुर्गा मंदिर जवालीपुल में 121 और काली मंदिर कुदुदंड में 80 ज्योतिकलश प्रज्जवलित किए गए हैं।
पुजारियों ने विधिवत पूजा-अर्चना की। मां नष्टी भवानी मंदिर के पुजारी पंडित रमेश तिवारी ने कहा कि मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के सभी पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं।
इनकी आराधना से प्राप्त होने वाला एक बहुत बड़ा सगुण यह भी है कि साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता व विनम्रता का भी विकास होता है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत सौम्यता व शांति से परिपूर्ण है। माता के पूजन से देवी भक्त विकास मुख, नेत्र और संपूर्ण काया में कांति गुण का उपहार पाता है। कमल व गुड़हल के फूलों से माता को प्रसन्न् किया गया।
मातारानी को प्रसन्न् करने घरों में भक्त हर संभव कोशिश कर रहे हैं। किसी ने पूजन कक्ष को सुंदर दरबार का स्वरूप दिया है तो किसी ने फूलों सहित आकर्षक लाइट से साज सज्जा की है। भक्त प्रतिदिन प्रात: स्नान कर सफेद या पीले रंग का वस्त्र धारण कर पूजन कर रहे हैं।
घरों में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। आदिशक्ति मां महामाया मंदिर रतनपुर समेत अन्य मंदिरों में भोग प्रसाद के वितरण पर अभी रोक है। शंख, घंटी और मंत्रोच्चार से मंदिर प्रांगण गुंजायमान रहता है।