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चकौड़ा, कभी सुना है इसका नाम? जानिए इस पौधे की खूबियां…

चकौड़ा एक औषधीय पौधा है जिसमें कई गुण समाए हुए हैं। यह ऐसा पौधा है जो पहली बरसात के बाद अपने आप उगने लगता है। इसे प्रकृति का तोहफा भी कहा जा सकता है। इसके फायदों से शायद आप अभी तक अनजान होंगे क्योंकि, यह पौधा अधिकतर लोगों ने देखा जरूर होगा मगर कभी इसकी देखरेख या इस्तेमाल नहीं किया होगा।

हालांकि, अब ये पौधे विलुप्त भी होने लगे हैं। जानिए इस खास और अंजान से पौधे के महत्वों के बारे में।

चकौड़ा के पौधे का इस्तेमाल कैसे किया जाता है

स्किन प्रॉब्लम के लिए लाभदायक

स्किन इन्फेक्शन

चकौड़े के पौधे के पत्तों का पेस्ट बनाकर, इसे चेहरे पर लगा सकते हैं। इससे स्किन पर पिंपल्स, एक्ने कम होंगे। इसके पेस्ट को आप स्किन इंफेक्शन पर भी लगा सकते हैं। ये पत्ते एंटीबैक्टीरियल होते हैं, जो इससे ठीक करने में मदद कर सकते हैं। इसके बीजों को पीसकर फंगल इंफेक्शन पर उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आपको बीजों को सुखाकर पाउडर बना लें। जब भी यूज करना हो पाउडर में नारियल तेल मिलाकर लगाएं।

मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में भी उपयोगी

मेटाबॉलिज्म स्ट्रांग रखना हेल्दी शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। अच्छा मेटाबॉलिज्म आपको कई बीमारियों से बचाता है, ये आपको मौसमी बीमारियों, वायरल इंफेक्शन से भी बचाता है। मेटाबॉलिज्म के लिए इसका यूज ऐसे किया जाता है। इसके बीज का एक पाउडर तैयार किया जाता है जो मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में भी काफी हद फायदा देता है. इसका चूर्ण डायबिटीज, थायराइड, पीसीओडी के लिए खाया जाता है। इसका स्वाद काफी कड़वा होता है।

माइग्रेन में भी असरदार

माइग्रेन की समस्या लगभग आधी जनता को है, माइग्रेन का दर्द सहन करना बहुत मुश्किल होता है। इससे निजात पाने के लिए चकौड़ा का प्रयोग करें। इसके लिए आपको चकौड़ा के ताजे बीजों को पीसकर पेस्ट बनाना होगा। इस लेप को माथे पर लगाने से दर्द कम होगा।

आंखों के लिए भी फायदेमंद

आंखों की समस्याओं के लिए इसका एक रस बनाना होता है। इसे बनाने के लिए चकौड़े के पत्ते, हल्दी, काली हल्दी और कूठ को समान मात्रा में लेकर पीसना है। इस पेस्ट में नींबू का रस मिलाकर छान लें। इससे आप आंखों को साफ कर सकते हैं।

कहां पाए जाते हैं इसके पौधे

यह पौधा पूरे देश में पाया जाता है, जहां-जहां भी झाड़ी, खेत, मैदान होते हैं। शहरों में भी सड़क और नालों के किनारे ये उग जाता है। इसका पौधा ज्यादा बड़ा साइज का नहीं होता है। इस पौधा का फल सबसे पहले बारिश यानी जुलाई में उग जाता है और इसके फल नवंबर के महीनें में निकलने लगते हैं।

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